Resources Resources on Novel Coronavirus Disease (COVID-19)

कोरोनावाइरस रोग (कोविड‑19) : प्रायः पूछे गए प्रश्न

Gautam Menon

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इन दिनों फ़ैली सर्वव्यापी महामारी के परिणामस्वरूप कोरोना वाइरस संक्रमण और रोग को लेकर कई तरह की अफवाहें और गलत जानकारियाँ बहुत तेज़ी से फ़ैल रही हैं,विशेषकर सोशल मीडिया के माध्यम से।हमने अशोका युनिवर्सिटी सोनीपत और इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैथमेटिकल साइंसेज,चेन्नई में भौतिक और जीव विज्ञान के प्रोफेसर, गौतम मेनन से आग्रह किया कि वह इस वाइरस के बारे में पूछे जा रहे आम सवालों का उत्तर दें और इसके बारे में फ़ैली भ्रांतियों को दूर करें।

Translated into Hindi by Poonam Misra

कोरोना वाइरस (कोविड -19) क्या है और इसे लेकर लोग इतने चिंतित क्यों हैं?

इस रोग को कोविड-19 (COVID-19) कहते हैं यानि कोरोना वाइरस इन्फेक्शस डिजीज 2019 और जिस प्रकार के वाइरस से यह उत्पन्न हुआ उसे कोरोनावाइरस कहते हैं।इसका नाम कोरोना पड़ा क्योंकि इस पर कुछ कांटें इस आकार में निकले हुए है जैसे कोई मुकुट हो(लैटिन में कोरोना का अर्थ है मुकुट)।

मनुष्य में बहुत रोगों का कारण कई प्रकार के वाइरस होते हैं जैसे पोलियो,चेचक,फ़्लू,और सर्दी-ज़ुकाम। इनमें कुछ रोगों के लिए तो टीके(Vaccine) मौजूद हैं। इनमें कुछ टीके,सारे नहीं, हमें बचपन में असंक्रमीकरण(immunisation) इंजेक्शंस के कार्यक्रम के अंतर्गत लगाए जाते हैं।फ़्लू के लिए भी एक टीका है जिसे आप बड़े होने पर लगवा सकते हैं,पर सुरक्षा के लिए उसे हर साल लगवाना पड़ता है। इस असंक्रमीकरण से हमारा शरीर सुरक्षित हो जाता है क्योंकि जब भी वह वाइरस शरीर में प्रवेश करता है तो हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र उसे पहचान लेता है और उससे संघर्ष कर हमें उससे बचाता है।

समस्या तब आती है जब हमारे शरीर का सामना ऐसे वाइरस से होता है जिसे उसने पहले नहीं देखा। ऐसा प्रायः उन वाइरस के साथ होता है जो सामान्य परिस्थितियों में पशुओं और पक्षियों,जैसे सूअर,मुर्गियों और चमगादड़, में मौजूद होते हैं। कभी-कभी यह वाइरस मानव शरीर में प्लावित(spill over) हो जाते हैं और नयी बीमारियों को जन्म देते हैं। कोविड-19 ऐसी ही एक बीमारी है। ऐसा मानना है कि इस रोग का वाइरस चमगादड़ से उत्पन्न हुआ।

लोग कई कारणों से कोविड-19 को लेकर चिंतित हैं। पहला कारण है कि यह साँस की बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच आसानी से फैलती है। दूसरा कारण है कि जो लोग, चाहे बहुत कम ही सही,इस रोग से ग्रस्त हैं उनके लिए यह जानलेवा हो सकती है। तीसरा कारण है कि हमारे शरीर में इसके लिए कोई प्राकृतिक प्रतिरक्षा नहीं है,इससे बचाव के लिए कोई टीका नहीं है और अब तक इसकी कोई दवा नहीं है जो हम ले सकें।

इस बारे में है क्या जानते हैं कि यह रोग लोगों को कैसे प्रभावित करता है और यह संक्रमण कैसे फैलता है ?

अधिकाँश लोगों को मंद लक्षण होते हैं जैसे कि फ़्लू में। अधिकतर इसमें (तेज़) बुखार,सूखी खाँसी और थकान लगती है। कुछ मामलों में शरीर में दर्द,साँस लेने में दिक्कत,गांठों और मांसपेशियों में दर्द,गला ख़राब होना,सिरदर्द,ठण्ड लगना और कभी कभार दस्त भी हो सकते हैं। ऐसा लगता है कि यह रोग छोटी उम्र वालों के मुकाबले अधिक उम्र वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है। शून्य से नौ साल की उम्र के लोगों पर इसका असर कम है। जिन लोगों की पहले से कोई चिकित्सीय दशा है जैसे मधुमेह(diabetes),ह्रदय रोग,फेफड़ों का रोग या कम प्रतिरक्षण शक्ति उनपर इसका असर ज़्यादा प्रबल होता है। करीब पांच में एक रोगी में इस बीमारी के अधिक गंभीर परिणाम, जिसमें निमोनिया भी शामिल है,देखने को मिले है।

यह रोग अधिकांशतः उन छोटी छोटी बूंदों से फैलता है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलती है। यह बूँदें किसी सतह पर टिकी रहती हैं और जब आप इन जगहों को छूने के बाद अपना चेहरा या मुँह छूते हैं तो आपके फेफङों तक पहुँच जाती हैं।

हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे स्वयं और अन्य लोग इस संक्रमण से बचे रहें ?

हाँ,बिलकुल।यह वाइरस साँस लेने वाली प्रणाली से संक्रमित होता है;उन छोटी बूँदों से जो किसी के खांसने या छींकने से बाहर निकलती हैं।यह बूँदें किसी भी सतह पर बैठ जाती हैं जैसे किसी का हाथ,दरवाज़े की कुंडी,रेलिंग यानि हर वो जगह जिसे लोग अमूमन छूते हैं।इन बूँदों में ही वाइरस होता है और वहाँ से यह आपके मुँह और फेफड़ों तक पहुँच जाती हैं। इसका समाधान क्या है ? वाइरस के हस्तांतरण को रोकने के लिए अपना हाथ बहुत सावधानी से धोएं; इसके लिए यूट्यूब पर बहुत से उत्तम वीडियो उपलब्ध हैं जिनमें वह तरीका बताया गया है जैसे डॉक्टर एवं नर्सें अपने हाथ धोती हैं। अगर आप नल के उस हिस्से को जिसे आप छू रहे हैं हाथ धोने से पहले साबुन और पानी से धो लें,तो आप आराम से जब मर्ज़ी हो तब नल खोल और बंद कर सकते हैं और पानी की बचत कर सकते हैं।

अगर आपके पास साबुन और पानी नहीं है तो एक अल्कोहोल आधारित सैनिटाइज़र भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हाथ से चेहरे को कम से कम छुएं।

इसके अलावा,भीड़ से दूर रहें क्योंकि भीड़ में संक्रमित लोगों से शारीरिक संपर्क होने की संभावना बढ़ जाती है। लोगों से इस प्रकार की शारीरिक दूरी बना कर रखने को social distancing कहते हैं।लोगों से तीन से छः फ़ीट की दूरी सुरक्षित दूरी मानी जाती है। हाथ मिलाने से बचें। "नमस्ते" और "आदाब" जैसे भारतीय अभिवादन अपनाएँ जिससे शारीरिक संपर्क न्यूनतम हो।

क्या जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क पहनना ज़रूरी है ?

अगर आपको बीमारी है तो मास्क पहनने से दूसरे लोगों को सुरक्षा मिलेगी;अगर दूसरों को बीमारी है तो आपको उतनी सुरक्षा नहीं मिल पाएगी अगर आप उनके संपर्क में आये। ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मास्क पहनने से आप उनलोगों से एक मास्क कम कर रहे हैं जिन्हें इनकी ज़्यादा ज़रुरत है जैसे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मी। अगर आपको लगता है कि आपको कोई साँस की तकलीफ है तो मास्क ज़रूर पहनें। पर यदि आप ठीक है तो मत पहनिए।

यदि मुझे सर्दी-ज़ुकाम या फ़्लू के लक्षण हैं तो क्या करना चाहिए?क्या मुझे अपना परीक्षण करवा लेना चाहिए या\और स्वयं को औरों से अलग कर देना चाहिए?

चूंकि कोविड-19 के लक्षण कई अन्य आम बीमारियों(फ़्लू,ज़ुकाम आदि) से मिलते हैं तो हो सकता है आपको इनमें से कोई बीमारी हो। अगर आपको लगता है कि आप बीमार हैं तो सबसे पहले(इन मामलों में सर्वश्रेष्ठ भी) खुद को पृथक करें यानि सेल्फ़ क्वारंटाइन।इसका मतलब है घर पर ही रहें या ऐसी जगह रहें जहाँ लोगों के साथ आपका संपर्क न्यूनतम हो जिससे यह संक्रमण न फैले। इसे जितना संभव हो उतनी सख्ती से करना चाहिए-एक आदर्श स्थिति में तो आपके और आपकी देखभाल करने वालों के बीच कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष शारीरिक संपर्क नहीं होना चाहिए और आपकी देखभाल करने वालों को खुद भी बहुत सावधानी बरतनी चाहिए जिसे कि वह सुरक्षित रह सकें और संक्रमित न हो।

सांस सम्बन्धी स्वच्छता हमेशा बना कर रखें-अपनी कुहनी मोड़कर उसमें खांसें या एक टिश्यू में खांसे जिसे आप सुरक्षित तरीके से फेंक सकते हैं। इसके अलावा अपने हाथ नियमित रूप से धोएं और और अपने आसपास के लोगों को भी धोने के लिए कहें,आराम करें,बहुत सा तरल पदार्थ लें,और अपनी प्रतिरक्षण क्षमता(immunity) को बढ़ाने के लिए फल अवश्य खाएं।अगर आपको साँस लेने में तकलीफ हो रही है तो हॉटलाइन पर सलाह लें। आमतौर पर यदि सलाह दी गयी है तभी डॉक्टर को दिखाने जाएँ अन्यथा न जाएँ विशेषकर यदि आपके लक्षण मंद हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि आप वास्तव में रोगग्रस्त हुए तो रास्ते में आप कई लोगों से मिलेंगे जिन्हें आप यह रोग संक्रमित कर सकते हैं।

अगर आपको खांसी है या\और नाक बह रही है तो दूसरों की सुरक्षा के लिए आपको मास्क पहनना चाहिए। नहीं तो मास्क से कोई विशेष लाभ नहीं होता।

मैंने सुना है कि कि जिनपर यह शक होता है कि वह इस रोग से ग्रस्त हैं उन्हें "क्वारंटाइन" कर दिया जाता है। इसका क्या मतलब होता है और क्या इससे हमें डरना चाहिए?

क्वारंटाइन दो तरह के होते हैं-एक में आपको उन कमरों में रखा जाएगा जिनका प्रबंध सरकार ने किया है। यह इसलिए कि उन लोगों से आपका संपर्क बिलकुल कम हो जाए जो स्वयं संक्रमित नहीं हैं। यह उस स्थिति में किया जाता है जब ऐसा लगता है कि आपको यह बीमारी होने की आशंका है क्योंकि आप भारत में किसी ऐसी जगह से आये हैं जहाँ यह महामारी फ़ैली हुई है और साथ ही साथ आपमें वह लक्षण थे जिससे लगता था कि आप संक्रमित हो गए हैं।

परन्तु यदि ऐसा संदेह है कि आप केवल किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आये थे जो बाद में परीक्षणों में इस रोग से संक्रमित पाया गया,तो आपको "सेल्फ क्वारंटाइन" करने के लिए कहा जाएगा।ऐसे में आपको अपने घर में ही रहने को कहा जाएगा या आप किसी ऐसी जगह का प्रबंध कर सकें जहाँ आपका अन्य लोगों से मिलना अच्छी तरह से सीमित रखा जा सके।

क्वारंटाइन से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि अन्य लोगों से आपका शारीरिक संपर्क न्यूनतम हो जाए। स्वास्थ्य कर्मी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आपके स्वास्थ्य की जांच होती रही और यदि आप क्वारंटाइन अवधि के बाद परीक्षणों में नेगटिव पाए गए तो आपको छोड़ दिया जाएगा।यह क्वारंटाइन अवधि आमतौर पर दो हफ्ते की होती है।

क्वारंटाइन से डरने की कोई बात नहीं है। ज़्यादा से ज़्यादा कुछ दिनों तक उस तरह के शारीरिक और सामाजिक संपर्कों से आप वंचित रहेंगे जिसके आप आदी हैं और इससे कुछ अजीब सा लगे। लेकिन एक सुनियोजित क्वारंटाइन सुविधा में यह सहूलियत होगी कि आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क कर सकें और बाहर की दुनिया की खबर मिलती रहे। यह भी सुविधा होगी कि आपको पौष्टिक भोजन मिले और ऐसे साधन हों जिससे आप वहाँ आराम से रह सकें।

इस रोग की प्रगति की जांच के साथ साथ क्वारंटाइन करने के नियमों का लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है। आने वाले समय में सरकार यह तय कर सकती है कि क्वारंटाइन के नियम और सख्त कर दिए जाएँ कि किसे क्वारंटाइन करना है और किसे नहीं।

क्या मुझे चीन से आया कोई उत्पाद जैसे गोश्त,खाने या वहाँ का सामान उपयोग करने से संक्रमण हो सकता है?

नहीं,बिलकुल नहीं। सर्वप्रथम यह एक ऐसा वाइरस है जो साँस के रास्ते मनुष्यों के बीच फ़ैल रहा है;ऐसा नहीं कि कोई भी जानवर जो आपको मिले उसमें यह वाइरस होगा। इसलिए गोश्त खाने और कोरोनावाइरस के संक्रमण में कोई रिश्ता नहीं है। दूसरी बात,इस तरह के वाइरस किसी खुली सतह पर बहुत दिनों तक जीवित नहीं रह पाते और न ही बहुत उच्च तापमान सह पाते हैं। चीन से भारत आने में किसी भी सामान को इतना समय लगेगा कि कोई भी वाइरस जीवित नहीं बच सकता। इसलिए चीन से आया कोई भी उत्पाद आप संक्रमण के भय के बिना उपयोग कर सकते हैं।

क्या संक्रमण की संभावना के कारण स्कूल और दफ्तर बंद कर देने चाहिए?

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि महामारी किस चरण में है। शुरुआती चरण में और अपनी चरम सीमा पर पहुँचने से पहले,जब इसको सीमित रखने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हों तब स्कूलों को बंद रखना उपयुक्त होता है। पर जब महामारी फ़ैल चुकी होती है तब इस तरह के कदम उठाने से जो विघ्न पड़ता है उससे बहुत लाभ नहीं होता।यदि,जैसा कि सरकार का मानना है, हम अभी इस बीमारी के फैलने के शुरुआती चरण में ही हैं-ऐसा चरण जब इसे समाज में फैलने से रोका जा सकता है-तब स्कूल और संस्थाओं को बंद रखने में समझदारी है। कई भारतीय राज्यों में अभी तक यह कदम उठाया गया है और शिक्षण तथा अन्य संस्थाओं को बंद कर दिया गया है।

लेकिन,स्कूल और दफ्तर बंद हों या नहीं,सबसे ज़्यादा चिंता हमें वृद्ध लोगों की करनी चाहिए या उनकी जिनकी पहले से बीमारियां हैं। इनको इस बीमारी के अधिक गंभीर रूप से होने की अधिक संभावना रहती है। जिन लोगों की इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशीलता हो सकती है उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।

क्या इसके लिए कोई टीका(vaccine) या कोई दवा है जिसे संक्रमित होने पर हम ले सकते हैं?

नहीं, अभी तक तो नहीं,हालांकि दुनिया भर में बहुत सी प्रयोगशालाएँ इस पर काम कर रही हैं। बहुत सी वैक्सीन्स पर काम हो रहा है और यह देखने के लिए कि वह कारगर हो सकती हैं या नहीं बहुत सी अन्य बीमारियों के लिए प्रयोग में आने वाली मौजूदा दवाइयों का भी कोविड-19 के रोगियों पर परीक्षण हो रहा है। एक सुरक्षित वैक्सीन बनाने में समय लगता है, एक या दो साल।

मैंने सुना है कि औषधीय पेड़ पौधों के रस तथा आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयों से हम इस संक्रमण से बच सकते हैं? क्या हमें इस पर भरोसा करना चाहिए?

हमें पारम्परिक दवाइयों के प्रभाव के बारे में बहुत कम मालूमात है हालांकि कुछ लोगों का इन पर बहुत भरोसा है। इस बारे में सिर्फ कुछ उपाख्यान पर आधारित सबूत हैं कि कुछ मामलों में यह प्रभावी हो सकते हैं। क्योंकि स्वास्थ्य शरीर और दिमाग दोनों के पारस्परिक प्रभाव का प्रतिबिम्ब होता है इसलिए यह दृढ विश्वास भी कि यह दवा प्रभावी होगी -वास्तव में वह न भी हो-कई बार आपके शरीर को रोग से लड़ने की शक्ति देता है।इसे "प्लेसिबोइफ़ेक्ट " कहते हैं।

परन्तु इस बात के अधिक पुष्ट प्रमाण हैं कि साधारण सामाजिक दूरी बनाये रखने,शवसन आरोग्यता और हाथों को बार बार धोना ,इस बीमारी और अन्य कई संक्रमणों को फैलने से बचाने के बहुत प्रभावी कदम हैं। जब तक आप स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के सुस्थापित तरीके अपनाते हैं और उनकी जगह किन्हीं अपरीक्षित या उपाख्यानात्मक तरीके नहीं इस्तेमाल करते तब आप सुरक्षित होने चाहिए। साथ ही साथ आप ताज़े फल और सब्ज़ियां खाकर और थोड़ी देर धूप में रहकर अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाएं और पानी पीते रहे। अपने तनाव को भी कम करें क्योंकि तनाव से संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता कमज़ोर हो जाती है।

कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?

सरकार WHO निर्देशों का बड़ी सावधानी से पालन कर रही है और हर स्तर पर लोक स्वास्थ्य तंत्र उसके अनुरूप हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय को कोरोना के मामलों के बारे में लगातार जानकारी दी जाती है और वह चिकित्सकों और अस्पतालों को इसके रोगियों को अलग रखने और उपचार के बारे में निर्देश देता है। सरकार ने भारत में उन लोगों के वीसा रद्द कर दिए हैं और प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है जो ऐसे देशों से आ रहे हैं जो इस बीमारी से प्रभावित हैं।जिन लोगों पर संदेह है कि उन्हें यह बीमारी है उन पर परीक्षण किये जा रहे हैं।अनेक स्थानों पर क्वारंटाइन की सुविधा तैयार कर दी गयी है।आदर्श स्थिति में तो हर उस व्यक्ति के परीक्षण का प्रबंध होना चाहिए जिसे लगता है कि उसे यह रोग है,पर यह अभी तक नहीं हो पाया है।

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले कुछ दिनों में कैसे हालात होते हैं। यदि कोरोनावाइरस का "सामूहिक संचार" (community transmission) हो गया तो प्रभावित लोगों की संख्या इतनी अधिक हो जाएगी कि भारत का लोक स्वास्थ्य तंत्र इसको नहीं संभाल पायेगा। इसलिए सामाजिक दूरी,मामलों का पता लगाना,स्व-पृथकता(self-quarantine)और उन लोगों पर निगरानी रखना जिनमें बाद में इसके लक्षण दिख सकते हैं इस समय बहुत महत्त्वपूर्ण है।

क्या यह संक्रमण गायब हो जाएगा या फिर हमेशा के लिए रहेगा?क्या गर्म मौसम आने इस वाइरस नियंत्रित हो पाएगा?क्या फिर से ठण्ड के मौसम में यह दुबारा आ जाएगा?

इस बात का पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन है।कुछ विषाणुजनित (viral) रोग जैसे फ़्लू काफी हद तक मौसमी होते हैं और ग्रीष्म ऋतु की गर्मी के बजाय ठण्ड के मौसम में ज़्यादा आसानी से फैलते हैं। पर हमें यह बिलकुल पता नहीं है कि क्या कोविड-19 इस श्रेणी में है। या तो यह गर्मी में बिलकुल गायब हो सकता है -जिसकी संभावना अधिक लगती है-या फिर यह एक दूसरी लहर में दुबारा आ सकता है। हम अभी यह नहीं जानते।

मुझे कोरोनावाइरस के बारे में सही,वैज्ञानिक और ताज़ा जानकारी कहाँ से मिल सकती हैं?

इससे जुड़ी सही जानकारी हमें वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन(WHO),संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन(CDC) और यूरोप के CDC से मिल सकती है। न्यू यॉर्क टाइम्स और BBC जैसे प्रतिष्ठित अखबार और समाचार संगठनों के वेब पेज भी विश्वस्त जानकारी देते हैं।भारत के भी बहुत से समाचार पत्रों ने कोरोनावाइरस के बारे में बहुत सटीक और अच्छे शोध वाली सूचना छापी है और उन पर विश्वास किया जा सकता है।इसके लिए यह भी एक अच्छा विचार होता है कि आप मूल स्रोत पर जाएँ जैसे WHO या फिर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय जिसके पास सामयिक परामर्शी हैं।

मुझे व्यक्तिगत स्तर पर कितना चिंतित होना चाहिए?

अगर आप साठ साल से कम उम्र के हैं और आपको कोई पूर्ववर्ती लक्षण नहीं हैं तो आपको शायद पता भी न चले कि आप कोविड-19 से संक्रमित हैं। यदि आप प्रौढ़ हैं या आपकी स्वास्थ्य अवस्था ऐसी है कि आपकी प्रतिरक्षण क्षमता क्षीण हो गयी है तो कुछ समय के लिए आपको दूसरे लोगों से,अपने परिवार वालों से भी, नज़दीकी शारीरिक संपर्क कम कर देना चाहिए और अपने स्वास्थ्य पर निगरानी रखनी चाहिए।

परन्तु हर उम्र के लोगों को सामाजिक दूरी बनाये रखने के निर्देश का सावधानी से पालन करना चाहिए और हाथ नियमित रूप से धोने चाहिए। उन लोगों से दूर रहना चाहिए जिनके ऊपर यथोचित संदेह है कि उन्हें यह बीमारी है,जब तक कि वह पूरी तरह से निरोग नहीं हो जाते। अगर आपको लगता है कि आपको यह बीमारी हो गयी है तो कोविड-19 हॉटलाइन नंबर पर तुरंत संपर्क करें।